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कश्मीर

कश्मीर के नायाब नज़ारों से दूर,
न पर्यटकों का सैलाब,
न चमकदार, न मशहूर।

श्रीनगर के इतिहास में बसा एक तारीख मकान,
तजुर्बे का धनी, शौहरत से अनजान।

200 वर्षों से खड़ा है अभीक,
बदलती हुकुमतें, रचता अतीत।

गोलियां भाई के खिलाफ खर्च होती देखी,
बचपन की मासूमियत, उग्रवाद में व्यर्थ होती देखी।

वसंत की खूबसूरती, रील में कथित।
पतझड़ की गहराई, अनदेखी, अपठित।

आंखों से सुनता प्रकृति की गुहार,
बढ़ता सूरज, पिघलता पहाड़।

कारीगर की इबादत,
जवानों की शहादत।

उसके ही बीच पनपती,
नूटों की हुकूमत,
शौहरत की हकीकत।

अमन को किया बारूद ने कैद।
जंग ए ऐलान में इंतकाम क्यों हुआ वैद?

कश्मीर की आवाम,
खूं के मंज़र से हैरान,
परेशान।

मांगती आज़ादी,
न चाहती इंतकाम।

बर्फीले पहाड़ों में चलने का जुनून।
शीत लहर में, नून चाय का सुकून।

कांगड़ी की गर्माहट,
कदमों की आहट।

उन्नति की पुकार,
अमन की गुहार।
वादी ऐ रंगीन की सुनलो ऐ पुकार।


सिद्धांत गोयल